हमें ज्यादा दूध चाहिए या अच्छा दूध चाहिए? | Sahiwal Cow Milk

हमें ज्यादा दूध चाहिए या अच्छा दूध चाहिए? | Cow | Milk | Sahiwal Cow |

किसी चीज का ज्यादा होना उसका अच्छा होना नहीं होता। 

आएं आज एक ऐसे विषय को जानने का प्रयास करते हैं जिसको हमने पहले कभी आपसे साँझा नहीं किया। यह विषय गोपालन GOPALAN से जुड़ा हुआ है। किसी चीज का ज्यादा होना उसका अच्छा होना नहीं होता। जरूरी नहीं है कि जो चीज ज्यादा होगी वह अच्छी ही होगी। लेकिन यह हमारी मानसिकता बन चुकी है कि हम ज्यादा चीज को पसंद करते हैं। अगर मैं खेती-बाड़ी FARMING की बात करूं तो हम एक एकड़ में ज्यादा झाड़ लेने के लिए खेत में केमिकल्स CHEMICALS, यूरिया UREA, पेस्टीसिड्स PESTICIDES और पता नहीं क्या-क्या डालते हैं। हमारी मंशा होती है कि हमें ज्यादा अनाज मिले, ज्यादा अनाज GRAINS क्यों चाहिए? क्योंकि हमें ज्यादा पैसे MONEY कमाने हैं। अगर फसल का झाड़ पड़ोसी की फसल से कम आ जाए तो हम अगली बार अपने खेत में और ज्यादा केमिकल, यूरिया और फर्टिलाइजर FERTILIZERS डालने लग जाते हैं। ज़्यादा पाने के लालच GREED वाली हमारी सोच के कारण कंपनियां (जो फर्टिलाइजर केमिकल और यूरिया बनाती है) करोड़ों-अरबों CRORES & BILLIONS का व्यापार कर रही हैं। 

हस्पतालों में मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है

हमें इस बात की कोई चिंता नहीं है कि हमारे द्वारा डाला गया ज़हर POISON कितने लोगों के जीवन life के साथ खिलवाड़ कर रहा है। बस हमने तो ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना है। हमें इस विनाशकारी DESTRUCTIVE सोच को बदलना होगा। तस्वीर का एक दूसरा रुख भी है। किसान FARMER अक्सर यह बात भी कहता है कि मैंने अपने परिवार के लिए अलग से एक-दो एकड़ जमीन LAND रखी हुई है जिसमे मैं कोई जहरीली दवा, फर्टिलाइजर FERTILIZERS या केमिकल CHEMICALS नहीं डालता, क्योंकि वहाँ के अनाज GRAINS को मैंने अपने घर में प्रयोग करना होता है। क्या बात है !! हम अपने घर के लिए शुद्ध जहरमुक्त अनाज पैदा करना चाहते हैं मगर दूसरों के घरों में बेशक ज़हर वाला अनाज जाए, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता ! दूसरों के घरों में भी इंसान HUMANS ही रहते हैं। ज़रा सोच कर देखें वो ज़हरीला अनाज उनके परिवार FAMILY का क्या हाल कर रहा होगा? शायद यही कारण है कि हस्पतालों HOSPITALS में मरीज़ों की संख्या बढ़ती जा रही है। कैसी मानसिकता है हमारी! हम यह तो चाहते हैं कि मेरा परिवार FAMILY जहरमुक्त खाना खाएं लेकिन मैं दूसरों के परिवारों के लिए ज़हरयुक्त खाना भेजूं !
हमें ज्यादा दूध चाहिए या अच्छा दूध चाहिए? | Cow | Milk | Sahiwal Cow |
हमारी ऐसी बीमार और संकीर्ण सोच के कारण ही आज कुदरत NATURE हमें सजा PUNISHMENT दे रही है, आज कुदरत NATURE का प्रकोप कोरोना के रूप में पूरी पृथ्वी EARTH पर स्पष्ट नजर आ रहा है, लॉक डाउन LOCKDOWN के इस समय में हमें कुदरत NATURE बहुत बड़ा संदेश MESSAGE दे रही है। समय TIME रहते हमें अपनी मानसिकता को बदलना होगा।

यह बात तो हमने खेतीबाड़ी FARMING का उदाहरण लेकर आपके समक्ष रखी लेकिन अब हम मुख्य मुद्दे पर आते हैं। इस लेख में विषय है कि हम अपनी गायों COWS से ज्यादा दूध MILK लेना चाहते हैं या अच्छा दूध लेना चाहते हैं? गायों से मेरा अभिप्राय देसी गायें है।


अपनी गायों का दूध बढ़ाने की गोपालक की इच्छा जायज़ है 

एक गौपालक की यह इच्छा रहती है कि उसकी गाय ज्यादा दूध दें। गोपालक की ऐसी इच्छा गलत नहीं है। उसका ऐसा सोचना जायज़ है। लेकिन देसी गायों की सभी नस्लें ज़्यादा दूध MILK नहीं देतीं। भारत INDIA की लगभग 40- 42 प्रजातियों SPECIES की देसी गायों COWS की नस्लें BREEDS हैं। सभी प्रजातियां की अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं। कुछ नस्लें छोटे कद की हैं, जो दिन में आधा किलो से लेकर 2 किलो तक दूध देती हैं। पर कुछ नस्लें ऐसी हैं जो दिन में 10 किलो से लेकर 25 किलो तक दूध दे देती हैं। जो गाय कम दूध MILK देती हैं उनके दूध की वहां के भूगौलिक दृष्टिकोण के अनुसार अपनी अलग विशेषता है और जो ज्यादा दूध MILK देती हैं उनकी विशेषता उनके क्षेत्र से है। प्रभु SHIVA ने सभी गायों की नस्लों को उनका अपना अलग-अलग क्षेत्र दिया है जैसे कि पंजाब PUNJAB को साहिवाल SAHIWAL COW नस्ल प्रदान की है, हरियाणा HARYANA में हरियाणा नस्ल है, राजस्थान RAJISTHAN में राठी, साहिवाल SAHIWAL COW , नागौरी, थारपारकर THARPARKAR COW और कांकरेज है। राजस्थान में देसी नस्लें इस लिए बची रही क्यूँकि गर्मी बहुत ज़्यादा पड़ती है। अंग्रेजी गाय राजिस्थान में अपने पैर नहीं पसार सकीं। उत्तर प्रदेश UTTAR PARDESH में गंगातीरी नस्ल है, महाराष्ट्र MAHARASHTER में खिलार KHILLAR COW है, गुजरात GUJRAT में कांकरेज KANKREJ COW और गिर GIR COW हैं। दक्षिण भारत में वेचूर VECHUR और मलनाड़गिड्डा देसी गायें हैं। छोटे कद की प्रजातियां दक्षिण भारत SOUTH INDIA में पाई जाती हैं। इन सभी नस्लों की दूध देने की क्षमता अलग-अलग है।
गाय COW का दूध ज्यादा या कम होना दो बातों पर निर्भर करता है। पहला प्रमुख कारण उस गाय की नस्ल की शुद्धता है। नस्ल सुधार BREEDING करके अगर किसी नस्ल की दो या तीन पीढ़ियां सुधर जाए तो यह निश्चित हो जायेगा कि आने वाले समय में उस नस्ल से ज्यादा दूध उत्पादन MILK PRODUCTION लिया जा सकेगा। नस्ल सुधार अपने आप में एक बहुत बड़ा विषय है,  जिन गायों की नस्लों का दूध कम है उनमें नस्ल सुधार करना अति आवश्यक है। दूसरा कारण खानपान है, आप अपनी गायों को किस तरह का चारा-दाना देते हैं, उनका रखरखाव कैसे करते हैं यह सारी बातें दूध की मात्रा और उसकी गुणवत्ता को निर्धारित करती हैं। 
अगर आपकी गाय कम दूध दे रही हैं तो आप उदास DISAPPOINTED मत हों। अच्छे प्रयास EFFORTS करने से यह बढ़ जायेगा। हमें इस बात को भी सदा याद रखना चाहिए कि गौ मां अपने बछड़े-बछड़ियों के लिए दूध देती है, मानव जाति को तो यह अमृततुल्य दूध आशीर्वाद BLESSINGS रूप में मिलता है। स्मरण रहे आशीर्वाद कभी भी कम या ज्यादा नहीं होता। हम इस बात को भी समझते हैं कि कम दूध उत्पादन से किसान FARMER का खर्चा नहीं निकल पाता इसलिए वह दूध उत्पादन बढ़ाने की कोशिश करता है, किसान का ऐसा करना जायज है। 

हमें ज्यादा दूध चाहिए या अच्छा दूध चाहिए? | Cow | Milk | Sahiwal Cow |
Image Credit:- ajabgajab.com 

देसी गायों की नस्लों में अगर दूध की मात्रा कम ज्यादा है तो इस बात को लेकर चिंता नहीं चिंतन करना चाहिए। विडंबना यह भी है कि भारत india देश में पिछले 70 सालों से क्रॉस बिल्डिंग पालिसी CROSS BREEDING POLICY चल रही है। यह पॉलिसी भारतीय INDIAN देसी गायों की नस्लों के लिए बहुत घातक सिद्ध हुई है। क्रॉस ब्रीडिंग पॉलिसी के अंतर्गत विदेशों FOREIGN COUNTRIES से अंग्रेजी गायों का सीमन SEMEN या अंग्रेजी गोवंश को ही भारत में लाया जाता रहा है, इसके पीछे भी हमारी ज्यादा दूध लेने की मंशा ही है, अंग्रेजी गायों के आने से भारत INDIA में दूध उत्पादन तो बड़ा लेकिन वो अपने साथ कई तरह की बीमारियां DISEASE भी लेकर आई दुर्भाग्यवश UNFORTUNATELY जैसे-जैसे अंग्रेजी गौवंश भारत india में पांव पसारता गया वैसे-वैसे देशी गोवंश पतन के कगार पर पहुँचता गया। 

भारत से देसी गायों की कई नस्लें लुप्त हो गई हैं और जो बच गई हैं वह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। अफसोस इस बात का भी है कि अभी भी भारत में क्रॉस बिल्डिंग पॉलिसी चल रही है।


फैसला करें कि हमें ज़्यादा दूध चाहिए या अच्छा दूध चाहिए:-

देसी गायों के दूध का कम उत्पादन ही उनके तिरस्कार का मुख्य कारण रहा है। लेकिन आज हम इस लेख के माध्यम से सभी गौपालकों को यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि बेशक अंग्रेजी गोवंश का दूध देसी गोवंश की नस्लों के मुकाबले ज्यादा है लेकिन अगर सभी प्रकार की जांच की जाए तो हमारी देसी गायों का दूध सर्वश्रेष्ठ है। यह बात आज के परिपेक्ष में सिद्ध हो चुकी है क्योंकि आज देश और विदेशों में बैठे वैज्ञानिकों SCIENTISTS ने यह खोज कर ली है कि देसी गौवंश का दूध सबसे श्रेष्ठ है, चाहे उसकी मात्रा कम ही क्यों न हो।

यह निर्णय तो हमें करना ही होगा कि हमने ज्यादा दूध की इच्छा रखनी है कि अच्छे दूध की। हमेशा अच्छी चीज की इच्छा रखें किसी चीज का ज्यादा होना उसका अच्छा होना नहीं होता।

हमें ज्यादा दूध चाहिए या अच्छा दूध चाहिए? | Cow | Milk | Sahiwal Cow |


अगर हमारी देसी गाय दिन में 10 किलो दूध भी देती हैं तो यह संतोषजनक है। इसके साथ-साथ किसान को नस्ल सुधार के प्रयासों को जारी रखना चाहिए। हमें यह निश्चित करना चाहिए कि भविष्य में हमारी देसी गायों के दूध का उत्पादन 10 से 15 और 15 से 25 किलो कैसे हो। लेकिन दूध बढ़ाने के तरीके न्याय संगत होने चाहिए, हम अपनी गायों के खानपान में बदलाव करें, उनको अच्छा खाना मुहैया करवाएं, अक्सर देखा जाता है कि गोपालक यह तो चाहता है कि गाय बाल्टी में ज्यादा से ज्यादा दूध दे लेकिन गौपालक को यह भी सोचना चाहिए कि वह गाय को खाने को क्या दे रहा है? क्या गायों को सिर्फ भूसा ही तो नहीं दिया जा रहा? गौपालक को गायों के खानपान में अलग-अलग प्रकार के आयामों को जोड़ना चाहिए, उन्हें ऋतु अनुसार हरा चारा प्रदान करना चाहिए, समय-समय पर जमीनों की मिट्टी का परिक्षण SOIL TESTING करवाते रहना चाहिए। गोपालक को फीड तैयार करने के लिए अलग-अलग विशेषगयों से अनुसंधान केंद्रों से वार्ता करनी चाहिए कि वह फीड में क्या-क्या मिलाए जिससे दूध उत्पादन बढ़े।

वैसे अगर गाय 100 किलो दूध दिन में देने लगे तो भी हम सोचेंगे कि गाय को 125 किलो दूध देना चाहिए। हमें अपनी ज्यादा पाने वाली मानसिकता को समाप्त करना होगा। गौ माता cows जितना भी दूध हमें दे रही है वह हमें आशीर्वाद रूप में मिल रहा है, हम उसे सहर्ष स्वीकार करें, अंग्रेजी गोवंश की बजाय अपने घरों में देसी गौवंश को स्थान दें, अंग्रेजी गोवंश के दूध से हमें बीमारियां लग रही हैं और देसी गायों का दूध हमें निरोग करता है। देसी गायों दूध, गोमूत्र GOMUTRA, गोबर, पंचगव्य PANCHGAVYA सब बेशकीमती है, एक देसी गाय घर में आने से घर से कई बीमारियां सदा के लिए कूच कर ती हैं।
आएं,ज़्यादा दूध की बजाए अच्छे दूध की कामना करें, धीरे-धीरे नस्ल सुधार करें, एक दिन ऐसा आएगा कि भारत की सभी देशी गोवंश की गायें भरपूर दूध देने लगेगी।
लेख ARTICAL को अंत तक पड़ने के लिए धन्यवाद THANKS
नीचे दिए गए इन लेखों ARTICLES को भी पढ़े :-

4 thoughts on “हमें ज्यादा दूध चाहिए या अच्छा दूध चाहिए? | Sahiwal Cow Milk”

  1. जय गोपाल, जय गोमाता। मुझे साहीवाल गाय अच्छा लगा। मै भी साहीवाल गाय आसाम में पालन करना चाहता हूं। कृपया परामर्श दें।

    1. जी बहुत अच्छी बात है की आप साहीवाल पर काम करना चाहते हैं। आने वाले समय में हम एक ट्रेनिंग सेशन शुरू करेंगे जिसमे आप बहुत कुछ सीख पाएंगे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *