जी हाँ! हैरान रह गए क्या आप? यह सत्य है। हज़ारों रुपया के ईनामों के बारे में तो सुना था मगर लाखों के ईनाम साहीवाल गौपालक को मिल रहे हैं यह पहली बार सुन रहे हैं। लेकिन यह हो रहा है। पंजाब सरकार साहीवाल गौपालन का रुझान लोगों में पैदा करने के लिए बड़े प्रयास कर रही है। वैसे-
आप सरकारों से देसी गौपालन को लेकर कैसी उम्मीद रखते हैं?
क्या सरकारें देसी गौपालन हेतु गंभीर हैं?
केंद्र सरकार देसी गौपालन हेतु राज्य सरकारों को क्या निर्देश दे रही हैं?
पंजाब सरकार यहाँ की क्षेत्रीय देसी गायों की सुंदर नस्ल साहीवाल के लिए क्या करने जा रही है?
पंजाब सरकार ने ऐसा क्या किया जो चर्चा का विषय बन गया?
इन सब बातों को जानने के लिए आएं आपको साहीवाल गायों के मेले में लेकर चलते हैं। पिछले दिनों पंजाब सरकार ने साहीवाल गायों को बढ़ावा देने हेतु एक मेले का आयोजन करवाया। साहीवाल गायों को बढ़ाने के लिए पंजाब सरकार की यह विशेष पहल थी।
सरकारें चाहें तो क्या नहीं हो सकता। सरकार हर काम की दिशा बदल कर रख सकती है। पिछले दिनों पंजाब सरकार ने बटाला जिले में एक पशु मेला लगाया। इस मेले में पंजाब, हरयाणा, राजिस्थान के किसानों एवं गौपालकों ने भाग लिया। वैसे मेले में किसान बकरियां, भैंसे, ऊठ, घोड़े आदि भी लेकर आये थे, मगर सबसे ज़्यादा आकर्षण साहीवाल गायों का ही नज़र आ रहा था।
पंजाब सरकार का मेला प्रबन्धन
मेले के प्रबंध बहुत ज़बरदस्त किये गए थे। पिछले कई सालों से यह मेला मुक्तसर में लगता आ रहा था। एक बार यह मेला पटिआला में भी लगाया गया था। इस बार पंजाब सरकार ने इस मेले को बटाला में लगाने का निर्णय लिया। सरकार के इस फैसले का सभी ने स्वागत किया। सब किसान हमेशा एक ही जगह पर नहीं जा सकते। मेलों के आयोजनों को समय-समय पर जब अल्ग-अल्ग जगह बदला जायेगा तो सभी किसान इस मेले से लाभ उठा पाएंगे। बटाला क्षेत्र के किसान इस मेले को अपने पास होता देख उत्साहित थे। उनका उत्साह उनके चेहरों पर नज़र आ रहा था।
पंजाब सरकार ने बड़े-बड़े एलुमिनियम के टेंट लगाए हुए थे ताकि बारिश के मौसम में भी मेला निर्विग्न चलता रह सके। उन टेंट्स में भांति-भांति की जानकारियां देने वाले विभिन्न विभिन्न स्टाल लगे हुए थे। किसानों की लंबी कतारें उन स्टाल्स पर देखी जा सकती थी।
कामधेनु गौशाला के प्रतिनिधि स्वामी चिन्मयानन्द जी गेस्ट स्पीकरएक कॉन्फ्रेंस हाल अलग से बनाया गया। कॉन्फ्रेंस हाल में पशुपालन से संबंधित वैज्ञानिक लेक्चर कर रहे थे। किसान उन्हें बहुत ध्यान से सुन रहे थे। इस सत्र में साहीवाल गायों पर बोलने के लिए पंजाब सरकार ने कामधेनु गौशाला के प्रतिनिधि स्वामी चिन्मयानन्द जी को गेस्ट स्पीकर के तौर पर बुलाया हुआ था।
रिंग में महारानी साहीवाल SAHIWAL COW
मेले में सुंदर-सुंदर साहीवाल गायें, बछड़ियाँ एवं नंदी आये हुए थे। साहीवाल की खूबसूरती सबको अपनी और आकर्षित कर रही थी। साहीवाल की गायें रिंग में महारानियाँ की तरह लग रही थी। जो भी उन्हें देखता था बस देखता ही रह जाता था। बाकी साहीवाल की गायें गौपालकों के तंबुओं में थी। तंबुओं में गायों के लिए हरे चारे का प्रबंध सरकार की तरफ से किया गया था।
साहीवाल इस बार मेले में पिछले सालों के मुक़ाबले ज़्यादा साहीवाल आई हुई थी, इसका सीधा सा मतलब यह निकलता है की साहीवाल को लेकर किसान जागरूक हो रहा है। इसका कारण यह भी है की गौपालक को साहीवाल के दूध का मूल्य 100 से लेकर 150 रुपया तक मिलने लगा है। अगर गौपालक घी बनाता है तो उसका भी उसे 2000 से लेकर 3000 तक मुल्य मिलता है।
रिंग में साहीवाल की judging के लिए एक्सपर्ट्स वैज्ञानिक आते हैं। कौन सी साहीवाल प्रथम स्थान पर आएगी इस बात को सुनिश्चित करने के लिए सभी साहीवाल गायों को बहुत ही बारीकी से देखा जाता है। एक-एक लक्षण के अल्ग-अल्ग नंबर्स होते हैं। जो साहीवाल इन मापदंडों पर खरी नहीं उतरती उसको रिंग से बाहर कर दिया जाता है। जो रिंग के अंदर रह जाती हैं उनका मुआइना और भी गहराई से किया जाता है। काफी मेहनत के बाद प्रथम स्थान पर आने वाली साहीवाल का चुनाव हो पता है। पंजाब सरकार ने गौपालकों को उत्साहित करने के लिए और उनकी मेहनत का पुरस्कार देने के लिए लाखों रुपया के ईनाम रखे हुए थे। पंजाब सरकार लगभग 2 करोड़ रुपया सिर्फ ईनामों पर खर्च करती है।
गौपालक ही ईनामों का हक़दार
सही मायने में गौपालक ईनामों का हक़दार होता है। वो गायों को अपने बच्चों की तरह पालता है। ऐसा भी नहीं है कि गौपालक सिर्फ ईनामों के लिए अपनी साहीवाल गायों को मेले में लेकर आता है। जी नहीं! वो तो इस लिए साहीवाल गायों को मेले में लेकर आता है कि लोगों में साहीवाल गायों के प्रति जागरूकता पैदा हो सके। 70 सालों से साहीवाल के साथ पक्षपात चल रहा था। अब जाकर कही वो समय आया है जब लोगों में साहीवाल का दूध और घी लेने की होड़ लगी हुई है।
साहीवाल गायों के सिरों पर तगमे बांधे जा रहे। यह तगमे महारानियों के मुकट के जैसे लग रहे थे। जिन किसानों को लाखों के ईनाम मिले थे वो बहुत खुश थे, और जिनको ईनाम नहीं मिले थे वो अगले साल और मेहनत के साथ आने के लिए दृढ़संकल्प थे। इन तगमों को देख हम सोच रहे थे कि यह वही खोया हुआ ताज है जो अंग्रेजी गाय ने साहीवाल से किसी समय छीन लिया था। लेकिन अब यह ताज सदा साहीवाल के सर पर सजा रहेगा।
केंद्र एवं राज्य सरकारों का योगदान
देसी गायों के संरक्षण और विस्तार के लिए केंद्र और राज्य सरकारें बहुत अच्छे प्रयास कर रही हैं। सरकारें अगर देसी गायों को बढ़ावा देने की बात कर रही हैं तो इसका मतलब यह काम बहुत ही जरूरी है। अब भारत के सभी गौपालकों को भी सरकारों का साथ देना चाहिए। सभी अपने अपने स्तर पर इस में योगदान डाल सकते हैं। अक्सर हम सरकारों को दोष देते रहते हैं। सरकारें अपना काम कर रही हैं हमें अपना काम करना चाहिए। हमें साहीवाल गायों को पालना चाहिए। उनकी अच्छे से देख-रेख करनी चाहिए। साहीवाल के ऐसे मेले गौपालकों में नया जोश लेकर आ रहे हैं। आप सब भी अपने क्षेत्रों में ऐसे मेलों में अवश्य जाया करें। वहां जाकर हमें पता चलता है की साहीवाल को कैसे पालना है। साहीवाल गौपालन में किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
कामधेनु गौशाला पंजाब सरकार का धन्यवाद करती है जिसने पंजाब की इस सुंदर एवं दुधारू देसी गायों की प्रजाति साहीवाल को बढ़ावा देने हेतु ऐसे मेले का आयोजन किया है। भविष्य में भी पंजाब सरकार के साहीवाल के प्रति ऐसे ही प्रयास रहेंगे ऐसी हम आशा करते हैं।
इस पोस्ट को अपने मित्रों के साथ जरूर शेयर करें। अगर आप मेले में नहीं आ सके तो आप इस वीडियो को देखकर मेला का आनंद ले सकते हैं-
खरा सोना है साहिवाल
Sahi kaha hai ji aapne. Sahiwal sona hai. logon ke sath is jankari ko share karen.
Way cool! Some extremely valid points! I appreciate you penning this article and also the rest of the site is also really good. Joyan Andrej Moazami
Thanks brother for your appreciation.